पाठक गण,
सादर नमस्कार।।
यह कहानीभूत-प्रेत की कहानियाँ यंहा से ली गयी है मुझे ये कहानी बहुत पसंद है इसलिए मेने सोचा की यह सभी के साथ शेयर की जाये आप यंहा जाकर भूतो की कहानिया काफी मात्र में देख सकते 


आज एक ऐसी घटना का वर्णन सुनाने जा रहा हूँ जो भूत-प्रेत से संबंधित तो नहीं है पर है चमत्कारिक। यह घटना सुनाने के लिए मैंने कई बार लेखनी उठाई पर पता नहीं क्यों कुछ लिख नहीं पाता था..पर आज पता नहीं क्या चमत्कार हुआ कि अचानक मूड बना और मैंने इस घटना को लेखनीबद्ध कर लिया।
इस घटना की सत्यता पर उंगली नहीं उठाई जा सकती क्योंकि लेखक (मैं) स्वयं इस घटना के घटने का केंद्र था। खैर यह मैं कह रहा हूँ..हो सकता है कि आपके तर्क कुछ और हों।।....आइए....सुनते हैं...इस चमत्कारिक घटना को.....

बात 3-4 साल पहले की है जब मैं मुंबई में एक संस्थान में शोध सहायक (रीसर्च एसोसियेट) के रूप में कार्यरत था। हमारे परम मित्र राणेजी के पास एक मारूती 800 थी। हमारे 2-3 मित्र इस पर अपना हाथ साफ करते रहते थे। मुझे भी चारपहिया चलाने का शौक जगा और एकदिन मैं अपने एक मित्र दीपकजी (जो चारपहिया चलाने में पारंगत हैं) के साथ स्टेयरिंग संभाल ली। शनिवार (शनि व रवि को इस संस्थान में अवकाश रहता है) का दिन था और दोपहर का समय। सड़क पर इक्के-दुक्के लोग या वाहन ही आ जा रहे थे। मैं मारूती चला रहा था और मेरे बगल में बैठे मेरे मित्र दीपकजी मेरा मार्गदर्शन कर रहे थे। इससे पहले भी मैंने थोड़ी-बहुत चारपहिया की स्टेयरिंग घुमाई थी। पर उस दिन मुझे बहुत आनंद आ रहा था क्योंकि मैं काफी अच्छी तरह से वाहन को नियंत्रण में रखकर कैंपस की सड़कों पर दौड़ा रहा था। अरे 1-2 घंटे दौड़ाने के बाद तो मैं अपने आप को मास्टर समझने लगा और मित्र दीपकजी की बातों को अनसुना करने लगा।

हम मारूती को दौड़ाते हुए हास्टल 8 के आगे के मोड़ से मोड़कर हास्टल 5 की ओर बढ़ें। पर यह क्या सड़क पर लगभग मारूती के 20 मीटर आगे दो छात्र बात करते हुए मस्ती में बढ़े जा रहे थे। दीपकजी ने मुझे ब्रेक लेकर गाड़ी को धीमे करने के लिए कहा...पर यह क्या मेरा पैर ब्रेक पर न जाकर एक्सीलेटर पर पड़ा और गाड़ी का स्पीड 40 के लगभग हो गया। मैं बार-बार रोकने की कोशिश कर रहा हूँ पर स्पीड बढ़ते जा रही है, मैं थोड़ा घबराया पर दीपकजी तो पसीने-पसीने हो गए थे। आगे दो बच्चों की जान का खतरा मुझे सताए जा रहा था...उनको बचाने के चक्कर में लगा कि तेज गाड़ी अब सड़क किनारे के एक आम के पेड़ से टकरा जाएगी और हम दोनों की इहलीला समाप्त हो जाएगी।

इस पूरी घटना को घटने में लगभग 1 से 2 मिनट का समय लगा होगा। मैंने बजरंगबली को याद किया और आँखें बंद कर ली। दीपकजी की मानो, काटो तो खून नहीं जैसी हालत हो गई थी। प्रभु की मर्जी या आप कहेंगे भाग्य ने साथ दिया....पेंड़ से लगभग एक फुट पहले कार का एक पहिया सड़क किनारे बने नाले में गया और इसके बाद उसी साइड का पीछे का पहिया भी। वे दोनों छात्र पेड़ से एक फुट आगे निकल चुके थे। पता नहीं क्यों मुझे हंसी छूट गई और अब मैंने अपनी आँखें भी खोल ली थीं। देखते ही देखते कार ने कल्टी (उलट गई) मार दी। हुआ यूं कि एक साइड के दोनों पहियों के नाले में जाते ही कार का दूसरी तरफ का भाग भी पूरी तरह से ऊपर उठा और दो बार उटल कर नाले के उस पार चला गया। नाले के उस पार जाने के बाद भी स्टेयरिंग वाला भाग (दोनों पहिए) ऊपर हो गए थे। मुझे कहीं खरोंच भी नहीं आई थी और अभी कुछ लोग दौंड़ कर आते उससे पहले ही मैं मुस्कुराते हुए, कूदकर अपने तरफ का दरवाजा खोलकर बाहर आ गया और दीपकजी को भी हाथ देकर बाहर निकाल लिया। अब तो वहाँ लगभग 20-25 लोग भी एकत्र हो गए थे। मारूती को सीधा करके सड़क पर लाया गया। भीड़ बढ़ती गई और जिन लोगों ने भी इस घटना को देखा था वे सकते में थे...हम दोनों को सही-सलामत देखकर। इसका मतलब यह नहीं कि वे हम लोगों का अहित चाहते थे....पर जिस प्रकार यह घटना घटी वह विस्मय करनेवाली थी।

लोगों के सहानुभूतिपूर्ण प्रश्नों से बचने के लिए मैंने दीपकजी से तुरंत गाड़ी चालू करने के लिए कहा और गाड़ी चालू भी हो गई। फिर हम दोनों बैठकर देवी मंदिर (कैंपस में ही) गए। वहाँ माँ को धन्यवाद देने के साथ ही लगभग 30 मिनट तक उसकी चरणों में बैठे रहे। फिर कैंपस से बाहर निकले और गाड़ी में थोड़ा-बहुत डेंटिंग-पेंटिंग कराने के बाद उसके मालिक यानी राणेजी को सौंप दिए।।

दीपकजी के घुटने में थोड़ी चोट लगी थी पर 2-3 बार सेंकाई के बाद ठीक हो गई। पर जिस-जिसने उस घटना को देखा था...वे लोग जब भी मुझसे मिलते थे या हैं..उस घटना का जरूर जिक्र यह कहते हुए करते हैं कि वास्तव में कोई दैवीय शक्ति ने ही हमें बचाया था।

आज भी जब दीपकजी मिलते हैं और इस घटना की चर्चा होती है तो मुझे तो हँसी आ जाती है पर आज भी दीपकजी उदास हो जाते हैं और कहते हैं कि वास्तव में किसी ईश्वरी चमत्कार ने हम लोगों को बचा लिया।
क्या वास्तव में हम लोगों को हनुमानजी ने बचाया??? इसके पीछे भी एक सत्य घटना है जिसका वर्णन मैं इसके आगे के वृतांत में करूँगा।।
सादर धन्यवाद।।

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