मुझ पर भरोसा है या गधे पर?
-----------------------------------------------------------------
एक बार एक किसान मुल्ला के पास आया और उसका गधा दोपहर के लिए उधार मांगा ताकि वो अपने खेत पर कुछ सामान ढो सके.

मुल्ला ने जवाब दिया - “मेरे मित्र, मैं हमेशा तुम्हें खेतों में काम करते देखता हूँ, और खुश होता हूं. तुम फसलें पैदा करते हो और हम सब उसका उपयोग करते हैं, यह वास्तविक समाज सेवा है. मेरा दिल भी तुम्हारी सहायता करने को सदैव तत्पर रहता है. मैं हमेशा ख्वाब देखा करता था कि मेरा गधा तुम्हारे खेतों में उगाए गए फसलों को प्रेम पूर्वक ढो रहा है. आज तुम मुझसे गधा उधार मांग रहे हो यह मेरे लिए बेहद खुशी की बात है. मगर क्या करूं, मेरा गधा आज मेरे पास नहीं है. मैंने आज अपना गधा किसी और को उधार दे रखा है.”

“ओ मुल्ला, कोई बात नहीं. मैं कोई अन्य व्यवस्था कर लूंगा. और मुझे तुम्हारे इन दयालु शब्दों और मेरे प्रति आपकी भावना से मुझे बेहद प्रसन्नता हुई. आपको बहुत बहुत धन्यवाद” किसान ने कहा और वापस जाने लगा.

इस बीच घर के पिछवाड़े से मुल्ला के गधे के रेंकने की आवाज आई. किसान रुक गया. उसने मुल्ला की ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा और कहा – “मुल्ला तुम तो कहते थे कि तुमने गधा किसी और को दे दिया है, पर वो तो पीछे बंधा हुआ है.”

“अजीब आदमी हो तुम भी! तुम्हें मेरी बात पर यकीन होना चाहिए कि गधे के रेंकने पर?” मुल्ला ने किसान से पूछा!

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें